किसी इंसान ने लिखा कि एक समय आएगा जब तमाम नाती पोते आप के आसपास खड़े होकर कहेंगे - दादाजी नोटबन्दी की कहानी सुनाओ । दादाजी GST की कहानी सुनाओ । दादाजी धारा 370 की कहानी सुनाओ । दादाजी एनआरसी की कहानी सुनाओ । दादाजी सीएए की कहानी सुनाओ । फिर कोई सा बोलेगा दादाजी राम मंदिर कैसे बना ? एक पूछेगा दादाजी मोब लिंचिंग क्या होता था ? फिर एक कहेगा दादाजी ये सहिष्णुता और असहिष्णुता क्या होता है ? फिर एक पूछेगा दादाजी ये पाकिस्तान और बांग्लादेश कहाँ तक पड़ता था ? एक पूछेगा दादाजी आप कोरोना से कैसे बचे ?
अगर आप भी चाहते हैं कि आपके नाती पोते आपसे ये बात पूछें तो 15-20 दिन  चुपचाप अपने घर में ही रहो ।

कुछ देर ध्यान से पढ़ने के बाद मुझे लगा की इस हल्की सी मजाकिया चेतावनी को थोड़ी गंभीरता और गहराई से देखा जाए तो क्या इतना ही सब है जो आने वाली पीढ़ी हमसे पूछेगी?

नही 

एक समय था जब हमने इंसान को इंसान के रूप में ही देखा, पता ही नहीं था एक समय आएगा जब इंसानियत से बड़ा मजहब होगा।
सही कहा सब चीज़ों के बारे में पूछा जाएगा बस ये नहीं पूछेंगे की हमारा देश पहले कहां था और आज कहां है?
ये नहीं पूछेंगे कि आपको नौकरी क्यों नहीं मिली?
ये नहीं पूछेंगे कि जब सारे देश तरक्की की राह पर चल रहे थे हर एक देश का हर इंसान तरक्की कर  अपने देश को योगदान कर रहा था तब आप हिन्दू मुस्लिम क्यों कर रहे थे? 
कोई नहीं पूछेगा की आप 100 साल पहले भी प्रगतिशील थे और आज भी प्रगतिशील ही क्यों है?
कोई नहीं पूछेगा की जब जब सब लोग देश की खातिर एक होते थे तो उसे एक राजनीतिक अमलीजामा क्यों पहना दिया जाता था? 
कोई नहीं पूछेगा की आपने लड़ लड़  कर मंदिर मस्जिदें तो बनवा लिए पर आपके  घर के बाहर घर बनाने वाला मजदूर और उसका परिवार ठिठुरती ठंड और तपिश भरी लू में भी जैसे रहता है उसके लिए आसरा क्यों नहीं बनवाया?
ये भी नही पूछेगा कोई की जब दुनिया का हर देश अपने अपने मजहबों को चार दिवारी में रख कर सिर्फ अपने देश के लिए सोच रहा था तब आप एक दूसरे मजहबियों के लिए दिल में ख्टाश क्यों पाल रहे थे?
डर लगता है अगर कहीं ये पूछ लिया कि आपने हमारे देश की खातिर क्या किया?
डर लगता है अगर ये पूछ लिया आपने हमारे भविष्य की खातिर क्या किया?

इससे भी बड़ा डर ये लगता है कि कहीं इस नफरती आग में कोई सवाल पूछने वाला ही ना बचे।
आज जो बीज बोएंगे उन्हीं का तो फल मिलेगा अंतिम दिनों में।

From the pen of ©Suhel Khan Nirmal